सीकर मास्टर प्लान 2041 को लेकर सीकर के लोगों का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. बुधवार, 20 अगस्त को मास्टर प्लान 2041 के विरोध में सीकर बाजार को बंद रखा गया. गौरतलब है कि 10 अगस्त को सीकर की कृषि उपज मंडी में आमसभा रखी गई था जहाँ पर इस बंद की घोषणा की गई थी.
सीकर बंद के लिए आसपास के गांवों के किसानों और सीकर शहर के व्यापारी वर्ग में एकजुटता देखने को मिली और सीकर बाजार पूरी तरह से बंद रहा. एक तरफ जहाँ धोद के पूर्व विधायक पेमाराम के नेतृत्व में काफिले के साथ शहर में आंशिक रूप से खुली दुकानों को बंद करवाया गया तो दूसरी तरफ RLP के कार्यकर्ताओं ने भी नवलगढ़ रोड पर काफिले के साथ यही काम किया.
गाँवों से किसान ट्रेक्टर लेकर शहर पहुंचे और पुरे सीकर में ट्रेक्टर रैली निकालकर अपनी एकजुटता का प्रदर्शन किया. इसके बाद दोपहर 2 बजे सीकर के जाट बाजार में एक आमसभा का आयोजन किया गया.
जाट बाजार में हुई सभा में संघर्ष समिति व इस विरोध में शामिल अन्य दलों के नेताओं ने संबोधित किया. पूर्व विधायक का. पेमाराम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ये मास्टर प्लान 2041 रद्द करने तक संघर्ष जारी रहेगा. इसके लिए चाहे लाठी खानी पड़े या गोली लेकिन पीछे नहीं हटेंगे.
वहीं राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी(RLP) के जिला अध्यक्ष महेंद्र डोरवल ने कहा कि अभी तक तो हम सिर्फ गाँधी के रास्ते से आंदोलन कर रहे हैं लेकिन अगर सरकार नहीं मानी तो हमें भगत सिंह का रास्ता भी आता है. हमें चाहे हाईवे जाम करना पड़े या फिर रेल की पटरी पर बैठना पड़े, हम तैयार है.
सभा के अंत में संघर्ष समिति ने घोषणा करते हुए सरकार को 31 अगस्त तक का समय दिया और कहा कि सरकार के पास 31 अगस्त तक का समय है इस मास्टर प्लान 2041 को वापिस ले. अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो 31 अगस्त को संघर्ष समिति कि बैठक रखी जायेगी जिसमे सघर्ष समिति का विस्तार भी किया जायेगा और आंदोलन के आगे की रणनीति पर भी फैसला लिया जायेगा.
सीकर शहर के गंदे पानी से नानी ग्राम पंचायत के लोग लंबे समय से परेशान रहे है और समय-समय पर इसके खिलाफ आवाज उठती रही है. हर बार प्रशासन ने आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया बल्कि समस्या समय के साथ बढती ही गई और पिछले कुछ समय से ये पानी NH-52 से होता हुआ भढाढर गाँव तक पहुँच गया.
NH-52 पर पानी भरने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ आने जाने वाले यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता था. इसी के खिलाफ एक विरोध सभा का आयोजन बुधवार, 13 अगस्त को किया गया.
इस विरोध सभा में गंदे पानी की समस्या से परेशान आसपास के गाँवों से सैंकड़ो लोगों ने भाग लिया और ये फैसला लिया गया की आज इस समस्या का कोई उचित समाधान होने के बाद ही सब लोग यहाँ से जायेंगे. अगर समाधान नहीं हुआ हो जयपुर-बीकानेर नेशनल हाईवे को जाम कर दिया जायेगा.
प्रशासन ने पुलिस जाब्ता पहले ही तैनात कर रखा था और वार्ता के तहसीलदार को मौके पर समझाइश के लिए भेजा गया लेकिन मंच से साफ़ कह दिया गया कि तहसीलदार से कोई बात नहीं होगी. RLP नेता विकास पचार ने तहसीलदार को वापिस जाने का कहते हुआ कहा कि बातचीत सिर्फ जिला कलेक्टर या फिर किसी सक्षम अधिकारी से ही होगी.
इसी बीच प्रदर्शनकर रहे कुछ युवाओं ने सीकर-सालासर सड़क को जाम कर दिया. तभी वहां सीकर ADM वार्ता के लिए आ पहुंचे और सड़क जाम खुलवाया गया. ADM व संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल के बीच करीब 1 घंटे से भी ज्यादा वार्ता हुई.
वार्ता के बाद ADM ने सभा में आकर कहा कि नवंबर में 2 एसटीपी स्टार्ट हो जायेंगी और तब तक इस 3 महीने के समय में भी प्रयास रहेगा कि गंदा पानी नानी बीहड़ में ही रोक लिया जाये उसे सड़क पर ना आने दिया जाये. ADM के इस आश्वासन के बाद सभा का समापन कर दिया गया.
सीकर राजस्थान के उत्तर-पूर्व में शेखावाटी क्षेत्र का एक जिला है। सीकर अपनी ऐतिहासिक धरोहर, भव्य हवेलियों, रंग-बिरंगे त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है। शिक्षा के क्षेत्र में सीकर के बढ़ते प्रभाव के कारण वर्तमान समय में सीकर शहर शिक्षा नगरी के नाम से भी जाना जाने लगा है।
जयपुर से लगभग 120 किलोमीटर दुरी पर स्थित सीकर न सिर्फ अपने गौरवशाली इतिहास के लिए, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और आधुनिक विकास के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी और राजस्थानी है।
इतिहास की झलक
सीकर का इतिहास कई शताब्दियों पुराना है। सीकर जयपुर रियासत का सबसे बड़ा ठिकाना रहा है। सीकर में सात “पोल” (दरवाज़े) बने हुए हैं। ये ऐतिहासिक दरवाज़े हैं: बावड़ी गेट, फतेहपुरी गेट, नानी गेट, सूरजपोल गेट, दूजोड़ गेट पुराना, दूजोड़ गेट नया, और चाँदपोल गेट। कभी यह इलाका व्यापार का अहम केंद्र था, जहाँ दूर-दराज़ से व्यापारी आते थे और अपनी कला व संस्कृति यहाँ लाते थे।
सांस्कृतिक पहचान
सीकर की संस्कृति राजस्थान की पारंपरिक जीवनशैली का सुंदर मिश्रण है।
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त्योहार – गणगौर, तीज, होली और दीपावली यहाँ बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं।
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लोककला – घरों और हवेलियों की दीवारों पर बनी भित्ति चित्रकारी (Fresco Paintings) और मांडना कला यहाँ की पहचान हैं।
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संगीत और नृत्य – लोकगीत और घूमर नृत्य त्योहारों में रौनक भर देते हैं। फाल्गुन के महीने में सीकर के लक्ष्मंगढ़ व फतेहपुर क्षेत्र में चंग व धमाल एक अलग ही माहौल बना देते हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थल
सीकर और इसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं, जो इतिहास, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम हैं:
र्हषनाथ मंदिर – अरावली की पहाड़ियों पर बसा प्राचीन शिव मंदिर, जहाँ से पूरे इलाके का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। मानसून के समय हर्ष पर्वत का नजारा देखने लायक होता है। ना सिर्फ धार्मिक बल्कि पर्यटन की द्रष्टि से भी हर्षनाथ सीकर का महत्वपूर्ण स्थल है।
जीण माता मंदिर – जीण माता मंदिर सीकर ज़िले के प्रमुख शक्ति पीठों में से एक है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है और यहाँ जीण माता की पूजा नवदुर्गा के रूप में की जाती है। नवरात्रों के समय यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो दूर-दूर से पैदल यात्रा करके दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर का प्राकृतिक वातावरण और पहाड़ियों से घिरा शांत माहौल यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।
खाटूश्याम जी – खाटूश्याम जी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है और इसे भगवान श्रीकृष्ण के कलियुग के अवतार के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत के वीर बार्बरीक को खाटू में ही श्याम नाम से पूजा जाने लगा। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन करने आते हैं, खासकर फाल्गुन मेले के समय यहाँ अद्भुत भीड़ और भक्ति का माहौल देखने को मिलता है। यह मंदिर न सिर्फ सीकर, बल्कि पूरे राजस्थान की धार्मिक पहचान है।
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रामगढ़ और फतेहपुर की हवेलियाँ – पास के कस्बों में स्थित, ये हवेलियाँ अपनी कलाकारी और चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं।
आधुनिक सीकर
वर्तमान समय में सीकर शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यहाँ के कोचिंग सेंटर्स जो IIT-JEE और NEET की तैयारी करवाते हैं, पुरे देशभर में जाने जाते है| सीकर के इन कोचिंग्स और स्कूल्स में राजस्थान ही नहीं, पूरे देशभर से बच्चे पढने आते है।